बद्रीनाथ मन्दिर अलकनन्दा नदी के दाहिने तट पर 3133 मी . की ऊँचाई पर नर व नारायण पर्वत गोद में ‘ बद्रीवन ‘ में स्थित श्री बद्रीनाथ धाम ( काले पत्थर की ध्यान मग्न पदमासन भगवान विष्णु की मूर्ति ) हिन्दुओं से सबसे पुराने तीर्थ स्थलों पर एक है । 8 वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई । भगवान के पुजारी दक्षिण भारत के नबूंदरीपादब्राहम्ण ( रावल ) होते हैं।
श्री बद्रीनाथ मंदिर के अतिरिक्त यहां पर तप्तकुण्ड , नारदकुण्ड , शेषनेत्र , नीलकंठ शिखर , उर्वशी मंदिर , ब्रह्म कपाल , मातामूर्ति मंदिर , देश का अंतिम गांव माना , भीम पुल वसुधारा जल प्रपात आदि स्थल दर्शनीय हैं।
सामान्य सूचनायें
यात्रा काल : अप्रैल / मई से अक्टूबर / नवम्बर
वस्त्र : ग्रीष्म ऋतु में हल्के ऊनी वस्त्र , शीतकाल में भारी ऊनी वस्त्र
रेलमार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से 297 किमी.
सड़क मार्ग : बद्रीनाथ धाम तक सड़क मार्ग से वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है।
निकटतम हवाई अड्डा : जौलीग्रान्ट 315 किमी.
आवास हेतु श्री बद्रीनाथ में धर्मशालाएं, आश्रम , होटल तथा गढ़वाल मण्डल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह उपलब्ध हैं।