1-केदारनाथ धाम का परिचय
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे पाँच केदारों (पंच केदार) में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है। यह भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
2-केदारनाथ धाम की पौराणिक कथा
केदारनाथ से जुड़ी सबसे प्रमुख कथा महाभारत काल से संबंधित है।
(i) महाभारत और पंच केदार की कथा
महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडवों ने कई कौरवों का वध किया, तो वे अपने पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की शरण में गए। लेकिन भगवान शिव उनसे नाराज़ थे और उन्होंने उन्हें दर्शन देने से मना कर दिया। शिवजी ने भैंसे (महिष) का रूप धारण कर लिया और केदार क्षेत्र में छिप गए।
जब पांडवों को यह ज्ञात हुआ, तो भीम ने अपना विशाल आकार धारण कर दो पहाड़ों के बीच अपने पैरों को फैलाकर खड़ा हो गया। शिवजी जब वहाँ से भागने लगे तो भीम ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की। लेकिन शिवजी ने अपनी पीठ भूमि में समा दी और केवल कूबड़ (पीठ का भाग) बाहर रह गया।
भगवान शिव पांडवों की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें पापमुक्त होने का आशीर्वाद दिया। यही स्थान केदारनाथ कहलाया, जबकि शिवजी के अन्य अंग पंच केदार (तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर) में प्रकट हुए।
3-केदारनाथ मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि मूल केदारनाथ मंदिर महाभारत काल में पांडवों ने बनवाया था। ऐसा मानना है की मंदिर का वर्तमान स्वरूप आदि गुरु शंकराचार्य जी ने 8वीं शताब्दी में बनवाया था।
यह मंदिर कटवां पत्थरों से बना हुआ है और इसकी वास्तुकला इतनी मजबूत है कि यह भीषण प्राकृतिक आपदाओं को भी सहन कर चुका है।
4-केदारनाथ की महिमा और विशेषताएँ
1. ज्योतिर्लिंग महत्त्व – केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे भगवान शिव का प्रमुख धाम माना जाता है।
2. चार धाम यात्रा – यह भारत के चार प्रमुख धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में से एक है।
3. पंच केदार प्रमुख स्थल – पंच केदार में सबसे महत्वपूर्ण केदारनाथ ही है।
4. केदारनाथ धाम और ध्यान गुफा – मंदिर के पास आदि शंकराचार्य की समाधि और ध्यान गुफा स्थित है।
5-केदारनाथ आपदा (2013) और पुनर्निर्माण
साल 2013 में भयंकर बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ क्षेत्र को बहुत नुकसान पहुँचा। लेकिन मंदिर को कोई क्षति नहीं हुई, क्योंकि मंदिर के पीछे एक विशाल पत्थर (दिव्य शिला) आकर अड़ गया और जल की धारा को दूसरी ओर मोड़ दिया। इसे “भगवान शिव की कृपा” माना जाता है।
इसके बाद भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का कार्य किया और आज यहाँ तीर्थयात्रा पहले से अधिक सुगम हो गई है।
6-यात्रा का समय और कैसे पहुँचे?
• यात्रा अवधि: केदारनाथ मंदिर केवल अप्रैल-मई से नवंबर तक खुला रहता है।
• कैसे पहुँचें?
• हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट (देहरादून) है।
• रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार है।
• सड़क मार्ग: गुप्तकाशी या सोनप्रयाग तक वाहन जाते हैं, फिर गौरीकुंड से पैदल यात्रा (16-18 किमी) करनी होती है।
7-केदारनाथ धाम के दर्शनीय स्थल

1. आदि शंकराचार्य समाधि – यहाँ आदि शंकराचार्य की समाधि है।
2. भीम शिला – यह वह पत्थर है जिसने 2013 की बाढ़ के दौरान मंदिर की रक्षा की।
3. वासुकी ताल – एक खूबसूरत झील जो केदारनाथ से 8 किमी दूर है।
4. गौरीकुंड – यह वह स्थान है जहाँ देवी पार्वती ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी।
निष्कर्ष
केदारनाथ धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह आस्था, भक्ति और शिवत्व की अनुभूति कराने वाला स्थान है। यहाँ की यात्रा कठिन होती है, लेकिन श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए हर साल बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं।
आप भी अगर केदारनाथ जाने की योजना बना रहे हैं, तो इसे अपनी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा ज़रूर बनाइए।
