आज हम देवभूमि उत्तराखण्ड के अलमोड़ा जिले में आदरणीय श्री रघुवीर दास प्रभुजी के पैतृक गाँव नौबड़ा- टानी में हैं . यहाँ की प्राकृतिक छटा को निहारने में बड़ा आनंद आ रहा है , जो अनुभूति हो रही है उसे शब्दों में बयॉं नहीं किया जा सकता है.
देव भूमि सच में ही देव भूमि है , इसे परखने के लिए हमें आत्मज्ञान होना चाहिए . देवभूमि की एक एक जगह रमणीय है, दर्शनीय है.
पर्यटन के मामले में भगवान जी ने उत्तराखण्ड को दोनों हाथों से भर भर के नैशर्गिक सुंदरता दी है . नैसर्गिक ब्यूटी के लिए उत्तराखण्ड सब राज्यों में सर्व श्रेष्ठ है.
इसीलिए तो हम कहते हैं की हर मानव को अपनी ज़िंदगी में कम से कम एक बार तो देवभूमि में ज़रूर आना चाहिये, इसके दर्शन ज़रूर करने चाहिए- भले ही कम समय के लिए हो या ज़्यादा समय के लिये. यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद हमें लेना ही चाहिये.
जो लोग अस्वस्थ हैं वो भी कुछ दिन इस नैसर्गिक वातावरण में बिताएँ और पूर्ण रूप से स्वस्थ लाभ पायें. देव भूमि के पहाड़ों में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं जो हमें यहाँ आने के लिए ज़्यादा आकर्षित करती हैं. पहला है शुद्ध हवा जिसमें प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन लबालब भरी हुई है और दूसरा है शुद्ध पानी जिसमें नैशर्गिक खनिज और लवण अधिक मात्रा में पाये जाते हैं. *ये दोनों ही हमारे लिए स्वास्थ्य वर्धक हैं . ये ही हैं जो हमें खाना पचाने में मदद करते हैं. खाना उचित रूप से पचने से हमें अच्छी भूख लगती है और खाना खाने में रुचि बढ़ती है
रुचि से युक्त आहार करने से सप्त धातुओं( जैसे १)रस : प्लाज्मा २)रक्त : खून(ब्लड) ३) मांस: मांसपेशियां ४) मेद : वसा (फैट) ५) अस्थि : हड्डियाँ ६) मज्जा : बोनमैरो ७) शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक (रिप्रोडक्टिव टिश्यू ) का प्रचुर मात्रा में निर्माण होता है, , जो हमें निरोगी बनने में मदद तो करता ही है, शरीर को शक्ति साली और बल साली भी बना देता है. इन्ही की वजह से नई उमंग और नई चेतना, नई शक्ति मिलती है जिससे हम उत्साह पूर्वक अपने सांसारिक नित्य कार्यों को आसानी से कर सकते हैं . आपका शरीर भी लंबे समय थक बलशाली एवं सक्षम बने रहता है .
“अतः ज़्यादा नहीं तो कम से कम साल में एक बार देवभूमि उत्तराखंड में ज़रूर आयें “
जय बदरी विशाल, जय देव भूमि उत्तराखण्ड.




