बद्रीनाथ धाम उत्तराखण्ड से आये बद्रीनाथ मंदिर, मुंबई : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद:

मुम्बई। परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ तीन दिवसीय प्रवास पर मुंबई पहुँचे जहा विभिन्न धार्मिक आयोजनो में शामिल हुए।

शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज शुक्रवार 05 मई 2023 को प्रातः 9 बजे वसई स्थित बद्रीनाथ मंदिर पहुँचे जहा मंदिर का निरीक्षण किया।
बद्रीनाथ मंदिर, वसई में परम आदरणीय शंकराचार्य जी के पहुँचते ही कमिटी द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया. कार्यकारिणी के अलावा बहुत से गणमान्य व्यक्ति उनके स्वागत के लिये मंदिर में उपस्थित थे. उनके मंदिर में पहुँचते ही “बदरी विशाल भगवान की जय”के नारों से मंदिर परिसर गूंज उठा.
संस्था के महासचिव श्री महेश चंद्र नैलवाल ने उन्हें संस्था के बारे में पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सन् २०११ में मंदिर प्रोजेक्ट का भूमि पूजन समारोह तत्कालीन मंत्री श्री प्रकाश पंत और श्री भगत सिंह कोशियारी के हाथों हुआ था और मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम १ फ़रवरी २०१५ को तत्कालीन उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री श्री हरीश रावत और पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल (निशंक)के कर कमलों द्वारा किया गया. उन्होंने यह भी बताया की मंदिर प्रोजेक्ट दो भागों में बटा है , प्रथम भाग में भगवान श्री बदरीनाथ जी का मंदिर है और द्वितीय भाग में मानव कल्याण केंद्र भवन है . वसई में भी मंदिर बदरीनाथ धाम की शैली में ही बनेगा और मानव कल्याण केंद्र भवन एक चौमजला भवन है जिसमें धर्मशाला, अतिथिग्रह, पुतकालय, मेडिकल OPD यूनिट, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के कंसल्टेशन रूम, बैंक्वेट हॉल इत्यादि होंगे. उन्होंने बताया कि अभी प्रोजेक्ट कि अनुमानित लागत १८ करोड़ के लगभग है.
ये प्रोजेक्ट पूर्ण होने पर महाराष्ट्र के लोगों के लिए उत्तराखण्ड के लोगों द्वारा निर्मित अद्वितीय गिफ्ट होगा, इससे संत भूमि महाराष्ट्र और देव भूमि उत्तराखण्ड दोनों का गौरव बढ़ेगा.

परम श्रद्धेय आदरणीय शंकराचार्य जी ने मंदिर प्रोजेक्ट को सराहा और कहा कि उत्तराखण्ड के लोग बड़े ही सरल स्वभाव के होते हैं और जहां जाते है, वहीं के हो जाते हैं. वे अपनी मूल संस्कृति को नहीं भूलते है और अपने कृत्यों द्वारा अपनी संस्कृति की छाप बनाते जाते हैं, उजागर करते जाते हैं . उन्होंने प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोगों का अभिवादन किया और उत्तरांचलियों द्वारा भगवान श्री बदरीनाथ जी के मंदिर प्रोजेक्ट को खूब सराहा. उन्होंने विस्तृत रूप से बताया कि किस ढंग से भगवान आदिगुरु शंकराचार्य जी ने बदरीनाथ धाम, उत्तराखण्ड में आज से २५०० साल पहले , बडे कठिन परिस्थितियों में बदरीनारायण जी की मूर्ति को नारद कुंड में से निकाल के उनके मंदिर की स्थापना की थी.

ज्ञातव्य है कि पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के लिए निरन्तर धर्म प्रचार यात्रा कर रहे हैं। इन्होंने रामसेतु रक्षा अभियान, अविरल निर्मल गंगा अभियान, छत्तीसगढ मे 108 फीट धर्म ध्वजा की स्थापना की एवं रामजन्म भूमि मुद्दे मे न्यायालय में एक्सपर्ट विटनेस के रूप मे अपनी गवाही आदि देकर रामजन्म भूमि को हिन्दुओं को सौपने के ऐतिहासिक न्यायालयीय निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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महेश चंद्र नैलवाल
महासचिव
उत्तरांचल मित्र मण्डल वसई रोड (मुम्बई)

 










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