उत्तराखंड की वादियों में बसी विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, जो हर साल अपनी रंग-बिरंगी छटा और दुर्लभ पुष्पों की सुंदरता से लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, इस बार एक नई सुविधा के साथ अपने दरवाजे खोलने जा रही है। 1 जून से पर्यटकों के लिए इस घाटी के द्वार खोल दिए जाएंगे, और इस बार कुछ खास बदलाव भी किए गए हैं, जो पर्यटकों के अनुभव को और भी आसान और सुखद बनाएंगे।
फूलों की घाटी – प्रकृति का अनमोल खजाना फूलों की घाटी, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और यह नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा है। यह घाटी न केवल अपनी अद्वितीय वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया गया है। हर साल जून से अक्टूबर के बीच, इस घाटी में हजारों किस्मों के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, जो पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं। यह जगह एक स्वर्ग जैसी अनुभूति कराती है, जहां चारों ओर हरियाली, बर्फ से ढके पहाड़ और उन पर खिले हुए रंग-बिरंगे फूल किसी जादुई चित्र की तरह नजर आते हैं।
ऑनलाइन पंजीकरण – अब सफर होगा आसान अब तक फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए पर्यटकों को घांघरिया में जाकर ऑफलाइन पंजीकरण कराना पड़ता था। यह प्रक्रिया समय लेने वाली और कभी-कभी पर्यटकों के लिए असुविधाजनक भी साबित होती थी। लेकिन इस साल से, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था शुरू कर दी है। इसके लिए विशेष रूप से एक वेबसाइट लॉन्च की गई है: https://valleyofflower.uk.gov.in।
कैसे करें ऑनलाइन पंजीकरण?
- सबसे पहले वेबसाइट पर जाएं।
- “रजिस्टर नाउ” या “ऑनलाइन पंजीकरण” के विकल्प पर क्लिक करें।
- अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, संपर्क विवरण, यात्रा तिथि आदि भरें।
- पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें।
- पंजीकरण सफल होने पर आपको एक ई-पास प्राप्त होगा, जिसे आप प्रवेश के समय दिखा सकते हैं।
ऑनलाइन पंजीकरण के लाभ इस नई व्यवस्था से पर्यटकों को कई लाभ मिलेंगे:
समय की बचत: अब घांघरिया में लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं।
सुविधा: कहीं से भी और कभी भी पंजीकरण कर सकते हैं।
पारदर्शिता: शुल्क का स्पष्ट विवरण मिलेगा और कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।
पर्यटन सीजन और विशेष दिशा-निर्देश फूलों की घाटी हर साल 1 जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुलती है। इस दौरान मानसून के महीनों में यहां फूलों का भरपूर खिला हुआ रूप देखा जा सकता है। हालांकि, पर्यटकों को कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है:-
घाटी में प्लास्टिक और अन्य प्रदूषक सामग्री लाने पर रोक है।
फूलों को तोड़ना या उनकी पंखुड़ियों को क्षति पहुंचाना सख्त वर्जित है।
ट्रैकिंग के दौरान अपना और पर्यावरण का विशेष ध्यान रखें।
पर्यटन से स्थानीय लोगों को लाभ फूलों की घाटी में हर साल आने वाले पर्यटक न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं, बल्कि यहां के स्थानीय लोगों की आजीविका में भी अपना योगदान देते हैं। घांघरिया में होटल, गाइड, स्थानीय हस्तशिल्प और भोजन के माध्यम से अनेक स्थानीय लोग रोजगार प्राप्त करते हैं।
इस बार ऑनलाइन पंजीकरण की नई सुविधा से पर्यटकों का अनुभव और भी बेहतर होगा और स्थानीय लोगों को भी लाभ मिलेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र को और अधिक सुलभ और संगठित बनाने में सहायक सिद्ध होगा।